संख्या: 03/2023/188ई-2/तेरह-2023-01/2020-1419282 दिनांक 29 जनवरी, 2023
विषय:- आबकारी नीति वर्ष 2023-24 के प्रख्यापन के सम्बन्ध में।
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उपर्युक्त विषयक आपके पत्र संख्या: 1891 (कैम्प)/दस-लाईसेंस-367-सुझाव आबकारी नीति / 2023-24,
दिनांक 09 जनवरी,
2023 के माध्यम से उपलब्ध कराये गये प्रस्ताव के संबंध में मुझे
यह कहने का निदेश हुआ है कि शासन द्वारा सम्यक् विचारोपरान्त प्रदेश के राजस्वहित
एवं जनहित के दृष्टिगत वर्ष 2023-24 हेतु आबकारी नीति इस शासनादेश के प्रस्तर-3 के
अनुसार निर्धारित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
2.
वर्ष 2023-24 की आबकारी नीति का उद्देश्य एवं प्रयोजन:
मा. मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त
प्रत्येक वर्ष के लिये शासन द्वारा प्रदेश की आबकारी नीति जारी की जाती है। आबकारी
नीति का उद्देश्य भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची संख्या-2 की प्रविष्टि संख्या: 8
एवं 51
में प्रदत्त अधिकारों के अन्तर्गत संविधान के अनुच्छेद-47 के अन्तर्गत दिये गये निर्देशक तत्वों को दृष्टि में रखते हुये मादक वस्तुओं
के निर्माण,
परिवहन,
आयात,
निर्यात,
बिक्री एवं कब्जे में रखे जाने संबंधी गतिविधियों को
विनियमित एवं नियंत्रित करते हुये प्रदेश के वित्तीय संसाधनों की वृद्धि करना है।
उक्त के अतिरिक्त उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गुणवत्ता पूर्ण मदिरा उपलब्ध कराये
जाने,
निवेश को प्रोत्साहन देने, राज्य
को आत्मनिर्भर उत्पादक राज्य बनाने, कृषि उत्पादों को नष्ट
होने से बचाते हुये किसानों की आय में वृद्धि करने और रोजगार सृजन के अवसर प्रदान
करने आदि उद्देश्य भी सम्मिलित हैं। इनमें आबकारी विभाग की भूमिका नियामक एवं
विकासकर्ता के रूप में अपेक्षित होती है। उक्त भूमिका के सम्यक निर्वहन के संदर्भ
में अनुषांगिक रूप से निम्नांकित बिन्दु भी आबकारी नीति से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष
रुप से सहबद्ध होते हैं:-
(क)
कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन तथा गन्ना उत्पादकों को उचित गन्ना मूल्य का भुगतान:-
गन्ना
उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है। प्रारम्भिक अनुमान के
अनुसार वर्ष 2022-23 में प्रदेश में लगभग 29.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने का
उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश के गन्ना किसानों को उनके उत्पाद पर सही मूल्य
मिले इसके लिये वैल्यू चेन के प्रत्येक अंश की उत्पादकता बढ़ाया जाना एवं उसके
मूल्य संवर्धन हेतु प्रयास किया जाना आवश्यक है। आबकारी विभाग का प्रयास यह है कि
चीनी निर्माण की प्रक्रिया में सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त शीरे का सदुपयोग हो
तथा इससे उत्पादित अल्कोहल का उपयोग विभिन्न प्रकार के रसायनों, एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल,
सैनिटाइज़र एवं मदिरा निर्माण के लिये हो सके, जिससे प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिले और इन उत्पादों की उत्पादकता
में वृद्धि के साथ कृषि क्षेत्र का विकास हो तथा उससे जुड़े किसानों को समुचित
मूल्य प्राप्त हो सके।
(ख)
चीनी व अल्कोहल उत्पादक इकाइयों का आधुनिकीकरण एवं नवीनतम तकनीक के प्रयोग से
उत्पादकता में वृद्धि जिससे औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहन मिल सके:-
वैल्यू
चेन के अन्तर्गत कृषि उत्पादों की क्षति रोकने, उत्पादकों
को बेहतर मूल्य प्रदान करने तथा उपभोक्ताओं को समुचित गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध
कराने पर बल दिया जाता है। गन्ना वर्ष 2022-23 में गन्ना उत्पादन 29.30 लाख
हेक्टेयर क्षेत्र में अनुमानित है तथा खड़ी फसल के आधार पर प्रदेश में लगभग
1170.73 लाख टन गन्ने की पेराई का अनुमान है। चीनी मिलों द्वारा गन्ने से चीनी, बगास,
शीरा,
प्रेसमड आदि उत्पादित किया जाता हैं। प्रदेश की चीनी मिलों
में सह-उत्पाद के रूप में उत्पादित शीरा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण
प्रदेश में अल्कोहल उद्योग के विकास की प्रबल संभावनायें विद्यमान हैं। वर्तमान
समय में एथनाल उत्पादन एक अच्छा विकल्प है। पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित किये
जाने के उद्देश्य से भी शीरे की क्षति अथवा इसकी गुणवत्ता में ह्रास को रोकते हुये
इसका शीघ्रातिशीघ्र उपयोग किया जाना अत्यंत आवश्यक है। चीनी व अल्कोहल उद्योगों के
आधुनिकीकरण व नवीनतम तकनीक की सहायता से उत्पादकता में वृद्धि करते हुये
औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
(ग)
एथनॉल के उत्पादन से भारत सरकार की विदेशी मुद्रा की बचत:-
भारत
सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार ईंधन में प्रयुक्त होने वाले पेट्रोल में 10 प्रतिशत
की सीमा तक एथनॉल को मिश्रित किया जाना अनुमन्य किया गया है। इससे पेट्रोल के आयात
पर व्यय होने वाली विदेशी मुद्रा की आंशिक बचत होती है। इस नीति के अन्तर्गत
प्रदेश में उत्पादित एथनॉल से प्रदेश में स्थित पेट्रोलियम डिपोज़ को एथनॉल की
आपूर्ति के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में स्थित पेट्रोलियम डिपोज़ में मिश्रित किये
जाने हेतु एथनॉल का निर्यात किया जाता है। इस क्रम में विगत वित्तीय वर्ष 2021-22
में कुल 96.55 करोड़ बल्क लीटर एथनॉल की निकासी हुई थी, जिसमें से 43.95 करोड़ बल्क लीटर उत्तर प्रदेश के आयल डिपोज़ को आपूर्ति की
गयी तथा 52.60 करोड़ बल्क लीटर का निर्यात अन्य राज्यों को किया गया। वर्तमान
वित्तीय वर्ष में माह नवम्बर, 2022 तक कुल 87.57 करोड़ बल्क लीटर एथनॉल की निकासी हुई थी, जिसमें से 43.55 करोड़ बल्क लीटर उत्तर प्रदेश के आयल
डिपोज़ को आपूर्ति की गयी तथा 44.01 करोड़ बल्क लीटर का निर्यात अन्य राज्यों को
किया गया। केन्द्र सरकार के एथनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (ई.बी.पी.) प्रोग्राम को सफल
बनाने हेतु एथनॉल का उत्पादन करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा
पावर अल्कोहल (एथनॉल) की उठान, निकासी की प्रक्रिया को सुगम बनाया गया है। इसके लिये उठान
हेतु आनलाइन व्यवस्था क्रियान्वित की गयी है।
(घ)
मदिरा उद्योग व्यवसाय से हितबद्ध अनुज्ञापियों द्वारा किये गये पूँजी निवेश पर
समुचित लाभार्जन एवं उपभोक्ता तुष्टिः-
मदिरा-उद्योग
के व्यवसाय को प्रतिस्पर्धात्मक बनाये जाने हेतु आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार
करने, मानक गुणवता की मदिरा उचित मूल्यों पर उपलब्ध कराने तथा
व्यवसाय से जुड़े अनुज्ञापियों को उनके द्वारा किये गये पूँजी-निवेश पर यथोचित लाभ
प्रदान करने की दिशा में विभाग का प्रयास है कि वैल्यू चेन में प्रत्येक स्तर पर
उत्पादकता बढ़े तथा उपभोक्ताओं को उनकी पसन्द के अनुसार मदिरा आपूर्ति प्रतिस्पर्धात्मक
मूल्य पर प्राप्त हो। विभाग का उद्देश्य यह भी है कि मदिरापान को जिम्मेदार एवं
सुरक्षित सीमा में रखा जाय। अल्कोहल वर्ष 2021-22 में माह नवम्बर, 2022 तक गत वर्ष की समान अवधि के सापेक्ष अल्कोहल के
उत्पादन में 13.3 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है।
(ड.)
प्रक्रियाओं का सरलीकरण:-
विभाग का
यह प्रयास है कि वैल्यू चेन में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने, विदेशी एवं देशी निवेश को आकर्षित करने, सेवाओं को सुगम बनाने, अनुज्ञापनों के आवंटन में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता रखने, मदिरा उद्योग, व्यवसाय
से हितबद्ध अनुज्ञापियों पर नियंत्रण रखने, उपभोक्ताओं को उनकी रुचियों के अनुसार जानकारी प्रदान करने तथा जिम्मेदार एवं
सुरक्षित सीमा में मदिरा सेवन करने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाये।
इससे एक और जहाँ प्रक्रियाओं का सरलीकरण होगा वहीं दूसरी ओर समस्त स्टेक होल्डर्स
को प्रत्येक स्तर की जानकारी सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सुलभ हो सकेगी। इससे
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एवं गुड गवर्नेन्स को बढ़ावा मिलेगा। वर्ष 2022-23 में इसे
बढ़ावा दिया गया है तथा ट्रैक ऐण्ड ट्रेस प्रणाली का उपयोग कर मदिरा के संचरण पर
निरंतर निगरानी रखी जा रही है। वर्ष 2023-24 में इसमें और सुधार किया जाना
प्रस्तावित है तथा विभाग की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली का कम्प्यूटरीकरण किया जाना है।
3. वर्ष
2023-24 के लिए आबकारी नीति:-
3.1 देशी
मदिरा
3.1.1 (क) देशी मदिरा की श्रेणियां तथा गुणवत्ता:-
वर्ष
2022-23 में देशी मदिरा की तीव्रता के आधार पर प्रचलित श्रेणियों के स्थान पर वर्ष
2023-24 में देशी मदिरा की निम्नांकित श्रेणियां रखी जायेंगी:-
(1) 36
प्रतिशत वी./वी. (सादा/सुवासित/मसाला) 200 एम.एल. की धारिता की काँच और पेट की
बोतलों तथा टेट्रा पैक में।
(2) 25
प्रतिशत वी./वी. (सादा/सुवासित/मसाला) 200 एम.एल. की धारिता की काँच और पेट की
बोतलों तथा टेट्रा पैक में।
वर्ष
2022-23 की भांति वर्ष 2023-24 हेतु प्रदेश में केवल एक्सट्रा न्यूट्रल अल्कोहल
(ई.एन.ए.) से निर्मित देशी मदिरा का विक्रय किया जाएगा। पेट बोतलों के लिये मिनरल
वाटर की बोतलों में प्रयुक्त होने वाले कैप्स के समान अच्छी गुणवत्ता के प्लास्टिक
कैप्स भी अनुमन्य होंगे। देशी मदिरा की बोतलों पर लगाये जाने वाले समस्त प्रकार के
कैप्स पर श्रिंक कैप का प्रयोग किया जाना अनिवार्य होगा।
(ख)
वर्ष 2022-23 की भाँति 42.8 प्रतिशत वी./वी. तीव्रता में यू.पी. मेड लिकर
(यू.पी.एम.एल.) की व्यवस्था वर्ष 2023-24 में भी अनुमन्य होगी। यू.पी.एम.एल. की
निम्नांकित श्रेणियां निर्धारित की जाती हैं:-