फ्लेक्स ईंधन (Flex Fuel)

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में फ्लेक्सी-फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FFV- SHEV) पर अपनी तरह का पहला पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। यह 100% पेट्रोल, 20% से अधिक एथेनॉल मिश्रित ईंधन या 100% एथेनॉल और विद्युत ऊर्जा से भी चल सकेगा। पारंपरिक वाहनों की तरह फ्लेक्स फ्यूल से चलने वाले वाहनों में आंतरिक दहन इंजन होता है। हालांकि इन्हें सामान्य पेट्रोल के बजाय पेट्रोल के साथ एथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण वाले ईंधन से चलाया जा सकता है। इसमें एथेनॉल का मिश्रण 20% से 85% के बीच हो सकता है। इसमें एथेनॉल मिश्रण के स्तर का पता लगाने और उसके अनुसार इंजन को समायोजित करने के लिए वाहन में अतिरिक्त सेंसर होता है। इसके अलावाइसमें इंजन कंट्रोल मॉडयूल की अलग से प्रोग्रामिंग की गई होती है। FFV-SHEV में एक फ्लेक्स-फ्यूल इंजन और एक इलेक्ट्रिक पावरट्रेन होता है। इस व्यवस्था में अधिक मात्रा में एथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन का उपयोग और बेहतर ईंधन दक्षतादोनों प्राप्त होते हैं। इसका कारण यह है कि आंतरिक दहन इंजन के बंद होने के बावजूद भी वह इलेक्ट्रिक व्हीकल मोड पर लंबे समय तक चल सकता है। फ्लेक्स फ्यूल वाहन के दहन चेम्बर  में किसी भी अनुपात के मिश्रित ईंधन का दहन हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक सेंसर मिश्रण के स्तर को मापते हैं तथा माइक्रोप्रोसेसर ईंधन इंजेक्शन और उसके समय को समायोजित करते हैं। यद्यपि मौजूदा वाहनों को एथेनॉल के उच्च मिश्रण वाले ईंधन से चलाने के लिए अपग्रेड किया जा सकता हैलेकिन यह काफी महंगा हो सकता है।

FFV का महत्व

  • कम प्रदूषणकारी: अमेरिकी ऊर्जा विभाग के अनुसार FFV से कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 40-108% तक कम हो सकता है। इस कमी की संभावना को फ्लेक्स फ्यूल के उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए गए फीडस्टॉक और मिश्रण के आधार पर व्यक्त किया गया है। गौरतलब है कि पर्यावरण पर किसी उत्पाद के प्रभाव को समझने के लिए लाइफ साइकिल एनालिसिस का सहारा लिया जाता हैअर्थात उस उत्पाद के बनने और उसकी खपत के सभी चरणों के दौरान कुल कार्बन उत्सर्जन कितना हुआ और यदि उस दौरान कार्बन का अधिग्रहण भी हुआ तो वह कितना हुआ। यदि संपूर्ण चरणों में कार्बन का उत्सर्जन और उसका अधिग्रहण बराबर है या अधिग्रहण उत्सर्जन से अधिक है तो ऐसी स्थिति में कार्बन का नेट उत्सर्जन शून्य (अर्थात् उत्सर्जन में 100% कमी) या ऋणात्मक(उत्सर्जन में 100 प्रतिशत से अधिक की कमी) होगा। जैसे यहां कमी को 108 प्रतिशत दर्शाया गया है।
  • आयात बिल में कमी: यह कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करेगाजिसका अधिक हिस्सा भारत को आयात करना पड़ता है।
  • कृषक समुदाय को लाभः ईंधन के रूप में एथेनॉल या मेथनॉल के व्यापक उपयोग से किसानों को अतिरिक्त धन प्राप्त होगा। इस प्रकार इससे कृषि आय को बढ़ाने में भी सहायता मिल सकती है।

FFV से संबंधित चुनौतियां

  • अवसंरचना संबंधी निवेशः इसे व्यापक पैमाने पर अपनाने के लिए देश भर में अलग- अलग प्रकार के एथेनॉल मिश्रित ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति की आवश्यकता होगी। मौजूदा वितरण नेटवर्क के तहत वाहनों के लिए 10% एथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन की आपूर्ति की जाती है। इसलिए मौजूदा वितरण नेटवर्क के अलावा अतिरिक्त वितरण नेटवर्क की स्थापना करनी होगी।
  • एथेनॉल से संबंधित मुद्देः इसकी निरंतर आपूर्ति को बनाए रखना अनिवार्य होगा। भारत में अधिकांश एथेनॉल का उत्पादन गन्ने से होता है। गन्ना एक जल-गहन फसल है और इसलिए सूखे की स्थिति में एथेनॉल की कीमत बढ़ने की संभावना है।

 

ईंधन के प्रकार

महत्व

चुनौतियाँ

एथेनाल

(ईंधन के रूप में)

  • नवीकरणीय, घरेलू रूप से उत्पादित ईंधन। 
  • गैसोलीन की तुलना में इसकी आक्टेन संख्या उच्च होती है। इससे अधिक शक्ति और बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित होता है ।
  • एथेनाल उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होता है।  

 

  • एथेनाल की कम उपलब्धता।
  • एथेनाल के कारण वाहन के इंजन में क्षय और नुकसान हो सकता है।
  • एथेनाल भी गैसोलीन जैसा किफायती नहीं है, क्योंकि यह गैसोलीन के बराबर ईंधन दक्षता प्रदान नहीं करता है।

फ्लेक्स ईंधन

  • इसका प्रति लीटर मूल्य गैसोलीन की तुलना में सस्ता होता है और यह उपभोक्ताओं के लिए आर्थिक रूप से बेहतर भी है।

  • बैटरी से चलने वाले EVs या हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाले वाहनों की तुलना में इसका पर्यावरण संबंधी लाभ कम है।

हाइड्रोजन

(ईंधन के रूप में)

  • इसका उत्पादन अलग-अलग घरेलू संसाधनों से किया जा सकता है।
  • इसके उपयोग से लगभग शून्य ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन होता है।

  • हाइड्रोजन का भंडारण करना मुश्किल है, क्योंकि इसकी वाल्यूमेट्रिक एनर्जी डेन्सिटी कम होती है।
  • इसकी उत्पादन लागत अधिक है।

 

बायो डीजल

  • डीजल के लिए नवीकरणीय विकल्प। डीजल से अधिक सुरक्षित, क्योंकि यह कम ज्वलनशील होता है। 

  • उच्च श्यानता (Viscosity), निम्न ऊर्जा मात्रा, उच्च नाइट्रोजन आक्साइड उत्सर्जन, इंजन की निम्न गति और शक्ति ।

 

विद्युत

  • इससे फ्यूल कोनामी में सुधार होता है, इसकी ईंधन के रूप में लागत कम आती है तथा इससे उत्सर्जन में कमी आती है। 

  • गैस स्टेशनों की तरह सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता हर जगह नहीं है।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों में उन्नत बैटरी को अधिक समय तक चलने के लिए डिजाइन किया जाता है, लेकिन यह अंततः खराब हो ही जायेगी।

 

प्राकृतिक गैस

  • घरेलू रूप से उपलब्ध, बेहतर वितरण नेटवर्क, अपेक्षाकृत कम लागत और उत्सर्जन संबंधी लाभ।

  • प्राकृतिक गैस वाहनों (NGVs) की ड्राइविंग रेंज आम तौर पर गैसोलीन और डीजल वाहनों की तुलना में कम होती है।

  • तुलनात्मक रूप से कम पर्यावरणीय लाभः बैटरी से चलने वाले EVs या हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाले वाहनों की तुलना में इसका पर्यावरणीय लाभ कम है।
  • कम माइलेज: एथेनॉल के इस्तेमाल से वाहन का ऑक्टेन स्तर बढ़ जाता है और एथेनॉल में कम ऊर्जा होती है। इसलिए गैसोलीन के बराबर ऊर्जा का स्तर प्रदान करने में 1.5 गुना अधिक एथेनॉल की आवश्यकता होगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि E10 से चलने वाले वाहनों में E20 के उपयोग के परिणामस्वरूप ईंधन दक्षता लगभग 6-7% कम हो जाएगी।
  • संसाधनों की कमी: नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि भारत में 91% एथेनॉल केवल गन्ने से प्राप्त होता है तथा शेष 9% एथेनॉलमक्का से प्राप्त होता है। इसलिए संधारणीय रूप से पर्याप्त फीडस्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • भारत का लक्ष्य 2022 तक E10 और 2025 तक E20 (20% एथेनॉल मिश्रण) को हासिल करना है।
  • भारत स्टेज मानक- भारत ने सीधे BS-IV से BS-VI मानकों को अपना लिया है।
  • सरकार ने फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के ऑटो घटकों और ऑटोमोबाइल के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना को आरम्भ किया है।
  • केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने गैर-मिश्रित ईंधन पर 1 अक्तूबर, 2022 से प्रति मीटर 2 रुपये का अतिरिक्त विभेदक उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की थी।

आगे की राह

  • अनुसंधान और विकास: इंजन को एथेनॉल की अधिक मात्रा वाले मिश्रित ईंधन और वैकल्पिक ईंधन जैसे- मेथनॉल, LNG, CNG के मिश्रण के साथ बेहतर रूप से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
  • प्रोत्साहन और मूल्य निर्धारण: एथेनॉल की अधिक मात्रा और अन्य वैकल्पिक ईंधन मिश्रणों से चलने वाले वाहनों को कर संबंधी अधिक लाभ प्रदान किए जाने चाहिए। फ्लेक्स फ्यूल को अधिक-से-अधिक अपनाने के लिए इसकी खुदरा कीमत सामान्य पेट्रोल से कम होनी चाहिए। साथ ही एथेनॉल और वैकल्पिक ईंधनों पर सरकार द्वारा कर संबंधी छूट प्रदान करने पर भी विचार किया जा सकता है।
  • अवसंरचना का विकासः तेल विनिर्माण कंपनियों को एथेनॉल भंडारणहैंडलिंगमिश्रण और उसके वितरण से संबंधित अवसंरचना की अनुमानित जरूरतों के लिए तैयार करने की आवश्यकता होगी।
  • एथेनॉल उत्पादन में वृद्धि करना: गैर-खाद्य फीडस्टॉक से एथेनॉल के उत्पादन (उन्नत जैव ईंधन") और दूसरी पीढ़ी (2G) के ईंधन के उत्पादन से संबंधित तकनीक को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे खाद्य उत्पादन प्रणाली भी प्रभावित नहीं होगी।