हमारे समाज में नशे की लत एक बड़ी समस्या बन गई है। नशे के आदी लोग कई प्रकार की बीमारियां मोल ले रहे हैं। नशे की तलब से परिवार के परिवार उजड़ रहे हैं। शासन-प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह का नशा करने पर आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान भी रखा है, नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन लोगों  को फिर भी समझ में नहीं आता है। लोग चलती कार में, मेट्रो पार्किंग, मॉल पार्किंग और सुनसान सड़क के किनारे नशा करते आसानी से मिल जाते हैं। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों का उपयोग महिलाएं और बच्चे भी करते हैं। आज गुजरात और बिहार में संपूर्ण शराबबंदी है, लेकिन लोग नशा करने के लिए पड़ोसी राज्य में अक्सर जाते हैं। बिहार में जहरीली शराब से इस वर्ष दो सौ लोग काल के गाल में समा चुके हैं। गुजरात में शराबबंदी है, फिर भी लोग अपनी आदत से मजबूर हैं। उनको लगता है कि शासन की तरफ से यह जबरन थोपी गई पाबंदी है। चोरी-छुपे नशा करने के लिए नए-नए विकल्प सोचते हैं, लेकिन वे यह नहीं समझते कि नशा करने से उनके शरीर के साथ-साथ पैसे और परिवार, सबकुछ बर्बाद हो जाता है। नशा करने की आदत कैसे पड़ी, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क इस बात से पड़ता है कि कहीं आप उसके आदी तो नहीं हो गए हैं, क्योंकि अगर किसी पदार्थ की खुराक हद से ज्यादा ले रहे हैं तो फिर उसे छोड़ना नामुमकिन-सा लगने लगता है। अगर आप चाहें तो नशे की लत छूट भी सकती है। इसके लिए देशभर में नशा मुक्ति केंद्र हैं। इन केंद्रों में नशे के अंधेरे कुएं से बाहर निकालने के लिए आपकी हरसंभव मदद की जाती है। अगर कोई नशामुक्ति केंद्र नहीं जाना चाहता तो भी वह घर पर ही इस आदत से छुटकारा पा सकता है।