उत्तर प्रदेश श्रेणी दो सेवा (लघु शास्तियों का आरोपण) नियमावली, 1973

1.   संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ- 

        (1)   यह नियमावली उत्तर प्रदेश श्रेणी दो सेवा (लघु शास्तियों का आरोपण) नियमावली, 1973 कहलायेगी।

        (2)   यह तुरन्त प्रवृत्त होगी।

2.   लागू होने की सीमा-

         यह नियमावली उत्तर प्रदेश की श्रेणी दो की ऐसी समस्त सेवाओं पर, जिनके नियुक्ति प्राधिकारी राज्यपाल हैंलागू होगी।

3.  नियमावली का अधिभावी प्रभाव- 

           इस नियमावली के उपबन्ध प्रभावी होंगे भले ही इस नियमावली के प्रारम्भ होने के ठीक पूर्व प्रवृत्त किसी भी नियम या आदेश में इससे कोई असंगत बात क्यों न हो।

4.  परिभाषा- 

            इस नियमावली में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,

(क)    ‘‘राज्यपालका तात्पर्य उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से हैः

  (ख)   ‘‘विभागाध्यक्षके अन्तर्गत कोई अपर विभागाध्यक्ष भी है और उसका तात्पर्य राज्यपाल द्वारा इस प्रकार विशेष रूप से घोषित किसी प्राधिकारी से है;]

(ग)    ‘‘लघु शास्तिका तात्पर्य निम्नलिखित से है-

(1)    निन्दा;

(2)    वेतन वृद्धि का रोका जाना जिसके अन्तर्गत दक्षतारोक पर रुकाव भी है; अथवा

(3)    आदेशों की अपेक्षा या उनका उल्लंघन करने के कारण सरकार को हुई आर्थिक हानि का पूर्णतः या अंशतः वेतन से वसूल किया जाना।

5.     शक्ति का प्रतिनिधायन-

          विभागाध्यक्षों के अधीन सेवारत उत्तर प्रदेश की श्रेणी दो के अधिकारियों के सम्बन्ध में राज्यपाल द्वारा लघु शास्तियाँ आरोपित करने की शक्ति का प्रयोग एतद्पश्चात् राज्यपाल के नियन्त्रण के अधीन रहते हुए, सम्बद्ध विभागाध्यक्ष भी कर सकेंगे।

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