सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून पर बिहार सरकार से मांगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून के असर पर अध्ययन और उससे उपजी स्थितियों से निपटने के लिए तंत्र बनाए जाने के बारे में बिहार सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी के मामलों की सुनवाई में हाईकोर्ट के दो तिहाई जजों के व्यस्त रहने पर चिंता जताते हुए कहा कि कानून लाने से पहले उसके प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि चाहे केंद्र सरकार कानून बनाए या राज्य सरकार लेकिन उसके प्रभाव और उससे उपजने वाली स्थिति से निपटने के लिए तंत्र बनाने के बारे में अध्ययन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह अति की स्थिति है 16 जज सिर्फ इस कानून से संबंधित जमानत के मामले सुन रहे हैं, इसका हल ढूंढने की जरूरत है। इस सम्बन्ध में बिहार सरकार ने कोर्ट को बताया कि ऐसे मामलों को सुनने के लिए राज्य भर में 74 विशेष अदालतों का गठन किया गया है। इसके अलावा इस कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी विधानसभा सत्र में शराबबंदी कानून में संशोधन होगा इसलिए कोर्ट मामले की सुनवाई अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दे। इस पर जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने हलफनामा दाखिल करने के लिए बिहार को 25 अप्रैल तक का समय देते हुए मामले को चार मई को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।
बिहार में शराबबंदी कानून में संशोधन प्रारूप पर मुहर
बिहार में 2015 से प्रभावी शराबबंदी कानून में राज्य सरकार बदलाव करेगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए मद्य निषेध व उत्पाद (संशोधन) अधिनियम-2022 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। अभी चल रहे बजट सत्र में इसे विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाएगा।