उत्तर प्रदेश आबकारी की दुकानों की संख्या और स्थिति नियमावली, 1968 (सप्तम संशोधन-2021 तक संशोधित)

1-संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ –

(1) यह नियमावली उत्तर प्रदेश आबकारी की दुकानों की संख्या और स्थिति नियमावली, 1968 कहलायेगी।
(2) यह गजट में प्रकाशित किये जाने के दिनांक से प्रवृत्त होगी।

2-परिभाषा - 

इस नियमावली में;
(क) "दुकान" का तात्पर्य देशी शराब, विदेशी शराब, बीयर और भांग की बिक्री के लिये किसी फुटकर दुकान या माडल शॉप से है;
(ख) "उप दुकान" का तात्पर्य देशी की बिक्री के लिए एकान्तिक शराब विशेषाधिकार के किसी प्राप्तकर्ता द्वारा संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम 1910 की धारा 24 के अधीन देशी शराब की फुटकर बिक्री के लिए उसकी संविदा के क्षेत्र के भीतर और आबकारी वर्ष के चालू रहने के दौरान खोली जाने वाली किसी फुटकर दुकान से है,
(ग) “अवस्थिति" का तात्पर्य किसी दुकान के लिए विनिर्दिष्ट ग्राम, मोहल्ला, वार्ड इत्यादि से है;
(घ) "स्थल" का तात्पर्य दुकान के परिसर के लिए अनुमोदित चौहद्दी से है ।

2-(क)-दुकानों के प्रदेशन तथा स्थिति का अवधारण-

राज्य सरकार तथा आबकारी आयुक्त के नियंत्रण और इस नियमावली में अभिव्यक्त परिसीमाओं के अधीन रहते हुए दुकानों और उप दुकानों का प्रदेशन और उनकी सामान्य स्थिति का अवधारण कलेक्टर द्वारा किया जायेगा, प्रतिबन्ध यह है कि सैनिक छावनियों में कलेक्टर इस अधिकार का प्रयोग केवल ऐसे केन्द्र (स्टेशन) के कमाडिंग अफसर की सहमति से करेगा।

3-सिद्धान्तों जिसका पालन दुकानों और उप दुकानों की संख्या निश्चित करने में किया जायेगा -

कलेक्टर ऐसी दुकानों की संख्या अवधारित करने में जिन्हें लाइसेंस दिया जायेगा यथा संभव, इस सिद्धान्त का पालन करेगा कि उपभोक्ता वर्ग, की सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक संख्या से अधिक दुकानों व उप दुकानों के लिए अनुमति न दी जाय।

4-मेलों तथा प्रदर्शनियों में मदिरा लाइसेंस नहीं

मेलों तथा प्रदर्शनियों में मदिरा या उत्पाद शुल्क योग्य किसी भी अन्य पदार्थ की बिक्री के लिए किसी भी दुकान, उप दुकान को लाइसेन्स नहीं दिया जाएगा।
स्पष्टीकरण-इस नियम के प्रयोजनों के लिए पद 'मेला' के अन्तर्गत बाजार, मण्डी तथा हाट भी है।

5-दुकानों/उप दुकानों के लिए स्थिति तथा स्थल (साइट) अवधारित करने के सिद्धान्त-

दुकानों/उप दुकानों के लिए स्थिति तथा स्थल (साइट) अवधारित करने में निम्नलिखित सिद्धान्तों का पालन किया जायेगा ।
(1) समस्त दुकानों और उप दुकानों के लिए स्थिति तथा स्थल का निर्णय कलेक्टर द्वारा किया जायेगा।
(2) लिखित रूप में अभिलिखित किये जाने वाले अत्यावश्यक कारणों के सिवाय किसी परिनिर्धारण के चालू रहने के दौरान किसी दुकान या उप दुकान के स्थल में कोई भी परिवर्तन करने की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी। समस्त दुकानों और उप दुकानों की अवस्थिति को किसी स्थल परिवर्तन को रोकने के उद्देश्य से परिनिर्धारण में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जायेगाः
परन्तु यह कि किसी दुकान की अवस्थिति में किसी परिवर्तन की अनुज्ञा, प्रस्तावित अवस्थिति के लाइसेंसधारक को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के पश्चात् आबकारी आयुक्त अथवा मंडलायुक्त के पूर्वानुमोदन के बिना नही दी जायेगीः
परन्तु यह और भी कि किसी दुकान के स्थल में परिवर्तन लाइसेंस प्राधिकारी द्वारा सम्यक् विचारोपरान्त ही किया जायेगा।
(3) समस्त दुकानों और उप दुकानों के स्थलों का चयन पुलिस नियंत्रण, विशेषकर नगरों, कस्बों और बड़े गांवों की दशा में तथा यातायात नियंत्रण की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जायेगा।
(4) (क) किसी सार्वजनिक पूजा स्थल अथवा विद्यालय अथवा चिकित्सालय अथवा आवासिक कालोनी के नगर निगम में होने के मामले में 50 (पचास) मीटर की दूरी के भीतर, नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत में होने के मामले में 75 (पचहत्तर) मीटर की दूरी के भीतर व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में होने के मामले में 100 (एक सौ) मीटर की दूरी के भीतर दुकान या उप दुकान को लाइसेंस नहीं दिया जायेगा।
परन्तु यह और कि विकास प्राधिकरण/औद्योगिक विकास प्राधिकरण या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा "वाणिज्यिक" या "औद्योगिक" के रूप में अभिहित क्षेत्रों में दूरी का यह प्रतिबन्ध लागू नहीं होगा।
स्पष्टीकरण- इस नियम के प्रयोजन के लिए-
(एक) "सार्वजनिक पूजा स्थल" का तात्पर्य ऐसे किसी मन्दिर, मठ, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर से है, जो पूर्त और धार्मिक न्यास अधिनियम, 1920 के अधीन या पूर्त विन्यास अधिनियम, 1890 के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सार्वजनिक न्यास द्वारा या सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सोसाइटी द्वारा या वक्फ बोर्ड या सक्षम प्राधिकारी द्वारा रजिस्ट्रीकृत किसी गुरुद्वारा द्वारा, यथास्थिति स्थापित या प्रबन्धित या स्वामित्व प्राप्त हो और ऐसे अन्य सार्वजनिक पूजा स्थलों से है, जैसा कि राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा इस निमित्त समय-समय पर विनिर्दिष्ट करें। 
(दो) "विद्यालय" का तात्पर्य किसी स्थानीय प्राधिकरण या राज्य या केन्द्रीय सरकार द्वारा स्वामित्व प्राप्त या प्रबन्धित या मान्यता प्राप्त किसी पूर्व प्राथमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय, मिडिल स्कूल, हाईस्कूल और इण्टरकालेज से है या विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध या उसके द्वारा स्थापित या प्रबन्धित किसी महाविद्यालय से है।
(तीन) “चिकित्सालय" का तात्पर्य ऐसे किसी चिकित्सालय से है, जो किसी स्थानीय प्राधिकरण या राज्य या केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रबन्धित या स्वामित्व प्राप्त हो और जिसके अन्तर्गत कम से कम 50 शैय्याओं की व्यवस्था वाला कोई निजी चिकित्सालय सम्मिलित है और जो शहरी या ग्रामीण स्थानीय निकाय द्वारा रजिस्ट्रीकृत हो ।
(चार) “आवासिक कालोनी" का तात्पर्य विधिक रूप से धृत भूमि पर विकसित और निर्मित ऐसी किसी कालोनी से है, जिसके मानचित्र विधि द्वारा मान्यता प्राप्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा समुचित रूप से अनुमोदित किये गये हों।
(ख) खण्ड-(क) में निर्दिष्ट दूरी की माप, यदि चहारदीवारी है तो, दुकान या उप दुकान के प्रवेश द्वार के मध्य बिन्दु से सामान्यतः पथिक द्वारा निकटस्थ पहुंच मार्ग से ऐसे सार्वजनिक पूजा स्थल या ऐसे विद्यालय या ऐसे चिकित्सालय या ऐसी आवासिक कालोनी के निकटस्थ प्रवेश द्वार के मध्य तक और यदि चहारदीवारी नहीं है तो, सार्वजनिक पूजा स्थल या विद्यालय या चिकित्सालय या आवासिक कालोनी के निकटतम प्रवेश द्वार के मध्य बिन्दु तक की जायेगी।
(ग) प्रभावित व्यक्तियों द्वारा किसी दुकान या उप दुकान का लाइसेन्स देने के निमित्त की गई समस्त आपत्तियों पर पूरा विचार किया जाएगा।
(5) कोई भी दुकान या उप दुकान किसी गांव, कस्बा या नगर की आबादी के स्थल के बाहर नहीं रखी जायेगी;
(6) मौजूदा दुकानों की दशा में, यह मालूम करने के लिए कि उनकी दशा इस नियमावली में निर्धारित नीति के अनुरूप है या नहीं, नियतकालिक जांच की जायेगी। यदि उनकी स्थिति आपत्तिजनक पाई जाये, तो अपेक्षाकृत अधिक उपयुक्त स्थल का चयन और दुकान हटाने का प्रबन्ध करने के लिए सम्भव कार्यवाही की जायेगी।
(7) किसी भी रेलवे स्टेशन के 400 मीटर की दूरी के भीतर, सम्बद्ध रेलवे प्रशासन को स्थल के बारे में पूर्व सूचना दिये बगैर कोई भी नई दुकान या उप दुकान नहीं खोली जायेगी। यदि उक्त प्रशासन द्वारा कोई ऐसी आपत्ति उठाई जाय जिसे लाइसेंस प्राधिकारी द्वारा लाइसेंस देने से इन्कार किये जाने के लिए पर्याप्त कारण न माना जाय तो इसे आबकारी आयुक्त के विचारार्थ अभिर्दिष्ट किया जायेगा। रेलवे प्रशासन द्वारा किसी वर्तमान दुकान या उप दुकान के सम्बन्ध में की गई शिकायतों के सम्बन्ध में भी इसी प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा।
(8) नगर क्षेत्रों में, यथास्थिति, नगर महापालिका, नगरपालिका, टाउन एरिया या नोटीफाइड एरिया को सूचना दिये बिना कोई भी नई दुकान या उप दुकान नहीं खोली जायेगी, ग्रामीण क्षेत्रों में कोई नयी दुकान या उप दुकान खोलने के आशय की सूचना जिला परिषद् को दी जायेगी और उसे पास पड़ोस में प्रकाशित किया जायेगा। किसी भी आपत्ति पर, जो प्रस्तुत की जाये, सम्यक् ध्यान दिया जायेगा।
(9) दो जिलों के मध्य मदिरा की फुटकर बिक्री के लाइसेंसों की अवस्थिति / स्थल से सम्बन्धित किसी विवाद की स्थिति में उक्त मामला आबकारी आयुक्त को निर्दिष्ट किया जायेगा, जिस पर उसका विनिश्चय अंतिम होगा ।

6-उप दुकानें-

उप दुकानें -आबकारी वर्ष जिसमें समय-समय पर आबकारी आयुक्त द्वारा यथा निर्धारित लाइसेंस फीस का अग्रिम भुगतान करने पर ऐसी उप दुकान खोली गई है, 31 मार्च तक चलाई जाती रहेगी।